"हम" से "मैं" कब हो गया पता ही नहीं चला
"हम" से "मैं" कब हो गया पता ही नहीं चला
स्कूल हुआ, कॉलेज उत्तीर्ण किया
अच्छी नौकरियाँ भी पाया
जिन्दगी तेरे इशारे पे मैं नाचता गया
घर छूटा, रिश्ते टूटे, दोस्त यार सब बिखर गये
तरक्की के नाम पे मैं देश भी छोड़ आया
चलते चलते कब इतनी दूर निकल गया पता ही नहीं चला
बेहतर जिन्दगी के बहाने जीना ही भूल गया
कैसे एक गाँव का छोरा शहरी हो गया पता ही नहीं चला
"हम" से "मैं" कब हो गया पता ही नहीं चला
स्कूल हुआ, कॉलेज उत्तीर्ण किया
अच्छी नौकरियाँ भी पाया
जिन्दगी तेरे इशारे पे मैं नाचता गया
घर छूटा, रिश्ते टूटे, दोस्त यार सब बिखर गये
तरक्की के नाम पे मैं देश भी छोड़ आया
चलते चलते कब इतनी दूर निकल गया पता ही नहीं चला
बेहतर जिन्दगी के बहाने जीना ही भूल गया
कैसे एक गाँव का छोरा शहरी हो गया पता ही नहीं चला
"हम" से "मैं" कब हो गया पता ही नहीं चला
टच्च कर गए भाई
ReplyDeleteदिल से निकली बात हमेशा टच करती ही है :)
DeleteToo Good Manish.. keep the flame on..
ReplyDeleteThanks bro!
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