काश तुम्हे यकीन होता (Wish you had faith in me)
दर्द तो इतने हैं कि सहे ना जा रहे हैं पन्नों पे शब्द आने से पहले आँखें छलक जा रहे हैं कलम चल गई, चार शब्द लिखे भी जा रहे हैं पर कमबख्त आँसू, ये कमबख्त आँसू अक्षर भिंगोए जा रहे हैं कोई पूछे अगर कौन सा गम हो सकता है कोई पूछे कि मुझे कौन सा गम हो सकता है कैसे बताऊँ भले ही सख्त हूँ मैं लेकिन दिल तो अपना भी धड़कता है हर बात बता नहीं सकता, पर इतना तो समझो दोस्त कि कभी तेरे यार को भी हुआ था प्यार का रोग सच है कि गम इस बात का है कि वो अपनी न हुई पर गम सिर्फ इस बात का नहीं कि वो अपनी न हुई और न शोक ये है कि अपनों ने की रुसवाई दिल रोता है सोच उसे भी मेरे प्यार में न दिखी सच्चाई सिर्फ जुदा होने का गम होता तो शायद सह लेता लेकिन तड़प रहा हूँ मैं लेकिन तड़पता हूँ काश तुम्हें मेरे प्यार पे यकीन होता - 7/2/2016